31 दिसंबर 1988 को पंजाब के भटिंडा शहर में अपने पति के घर में ऋषिकेश की पुत्री साधना गुप्ता की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गयी थी। उसके भाइयों ने साधना के पति और रुड़की निवासी ससुराल वालों पर दहेज के लालच में उसकी हत्या करने का आरोप लगाया था। लेकिन उस समय पंजाब के हालत खराब होने के कारण पुलिस पैरवी नहीं हो पा रही थी। तुलसी संस्था के सदस्यों ने पंजाब जाकर मामले में FIR दर्ज कारवाई और फिर ऋषिकेश, रुड़की और हरिद्वार में प्रदर्शन व जलूस निकाल कर आम जनता में दहेज के विरूद्ध जागरूकता पैदा की।
तुलसी के इस प्रयास में शहर की सभी राजनीतिक पार्टियों, ट्रेड यूनियनों, व्यापार मण्डल, होटल यूनियन, टेकसी, टेम्पो आदि सभी यूनियनों के लोग पूरे उत्साह के साथ शामिल हुए। एक दिन के लिए ऋषिकेश बंद भी किया गया।