TULSI is an ISO-9005 certified Non-Governmental Organisation registered under The Societies Registration Act, 1860 since 1987. It is also registered with NITI Aayog and eligible for the deduction of income tax under the Section 80G of the Income Tax Act.
As its name reflects, its main object is to work for the welfare of families and their members by providing them a healthy and peaceful atmosphere. In the fulfillment of the objects of TULSI, it has provided counseling and guidance to the families and its members either husband and wife or the others, having differences between them. Due to the intervention of the TULSI members, today more than 100 couples have been living together after resolving their problems.
TULSI has organized so many processions, seminars, meetings, rallies etc. to aware the public against the social evils prevailing in the Indian society like dowry, casteism etc.
TULSI has organized so many functions for and assisted in the marriages of poor ladies. It has worked for the technical education for the poor ladies and children so that the make themselves self-dependent.
During the last 35 years, TULSI has organized so many Medical and Health Camps in different localities providing free consultancy and medicines to the general public. With the association of Rajiv Gandhi Cancer Hospital, SATGURU DARSHAN DHAM and other organisations, TULSI organized Cancer diagnostic camps and campaign programs for prevention of Cancer.
Being influenced with the work and dedication of the members of TULSI, Great Sant of Mathura in UP Hon'ble Shri Shri 108 Digambar Nagababa Ji Maharaj has given his own 8 acres of land to the Society to build and run the Digambar Nagababa Prabh Darshan Hospital for purpose to help the needy members of the Society.
तुलसी संस्था का गठन इंडियन सोसाइटीज़ रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत 1987 में किया गया था। नाम के अनुरूप ही "तुलसी" संस्था का मुख्य उद्देश्य लोगों के घर-परिवार में सुख-शांति बढ़ाने और परिवार के सदस्यों का अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में सहयोग करना है।
गत 34 वर्षों में संस्था के उद्देश्य की पूर्ति हेतु इसके सभी सदस्य और कार्यकारिणी सदस्य निरंतर कार्य करते रहे। किसी भी कारणो से समाज में तिरस्कृत हुए बच्चो और महिलाओं की मदद की गयी। घर-परिवार के सदस्यों के बीच आपसी कलेश को दूर कर उनके बीच आपसी तालमेल बैठने के लिए सलाह दी जाती रही है। गरीब महिलाओं को स्वावलंबी बनाया गया। कन्याओं के विवाह में आर्थिक और अन्य प्रकार के सहयोग किए गए। समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लोगों को विभिन्न माध्यमों के द्वारा जागरूक किया गया। सेमिनार व सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि किए गए। आवश्यकता पढ़ने पर जलूस और धरना-प्रदर्शन आदि भी किए गए।
परिवार कल्याण के अतिरिक्त लोगों के अच्छे स्वस्थ्य के लिए अनेक चिकित्सा कैंप लगाए गए और समय समय पर अनेक बीमारियों के लक्षणों और उनके उपचार के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों के बीच प्रचार के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए।
गत तीन दशकों में संस्था और इसके सदस्यों द्वारा किए गए समाज सेवा के कार्यों से प्रभावित होकर ही महान संत और "सर्वेशर नारायण अनाथ गोसेवा समिति", माँट, मथुरा के संचालक श्री दिगंबर नागा बाबा ने अपनी निजी 32,500 वर्ग गज भूमि संस्था को जनसेवार्थ हस्पताल और वृद्धाश्रम का निर्माण करने और उसे संचालित करने के लिए तुलसी संस्था को दी है। पहले इस भूमि का लैंड-यूज कृषि योग्य भूमि था जिसे संस्था ने स्थानीय प्रशासन से अकृषक भूमि में परिवर्तित करवा कर भवन निर्माण हेतु अनापत्ति प्रमाण-पत्र ले लिया गया है।